भरमाहा होगे नर तन : छत्तीसगढ़ी गीत

भरमाहा होगे नर तन, चिटिक बात म अगन हो जाथे।
नता रिस्ता के भरोसा, दाग लगते म दफन हो जाथे।।

नियाव म नित नइये, नर से होय त भोरहा कहाथे।
नारी आय त पापिन, कुटुम बर कुलछनीन हो जाथे।।
भरमाहा होगे नर तन....

परके नियत झांक, खरबइता अपने नियत डोलाथे।
अपन चरितर ढांक, पर बर दांत खिसोरन हो जाथे।।
भरमाहा होगे नर तन....

बेटी बहिनी महतारी, मानत काबर जियान पर जाथे।
देहे देंह रूप चरित्तर, माया बर काया हरन हो जाथे।।
भरमाहा होगे नर तन....

तिरिया मांस देखे, ऊंचहा नाक घलो कटा जाथे।
मरहा खुरहा बुढ़वा, मौका पाके दुसासन हो जाथे।
भरमाहा होगे नर तन....

कइसे बचाववं मान, सरी भसम कर जाए के मन करथे।
मैं तो जननी आवं, इही सोच के सराप बरदान हो जाथे।।
भरमाहा होगे नर तन....

लहू के कतरा जमोय, कोख म नौ महिना जतनथे।
जीव होम बियाथे, पीरा सोच जयंत नमन हो जाथे।।
भरमाहा होगे नर तन....

-  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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