छत्तीसगढ़ी श्रम गीत : हरियर-हरियर डोली

हरियर-हरियर डोली म, मेहनत के फर लहराथे।
भाग जगा के खेती म, खेतहारिन ददरिया गावथे।।

मेड़पार म कासी सांवा बदौर, पुरवाही म लहरावथे,
चारो मुड़ा सतरंगी बादर, सरर-सरर गुनगुनावथे।
माथ नवाये डोली म, नंगरिहा ओनहारी जमावथे।। 01
हरियर-हरियर...


लिप-पोत के चतवारे बियारा, धन्हा डोली लुवावथे,
उल्हा-उल्हा दिखे ओन्हारी, खवइया मन लुभावथे।
मिंजा कुटा के कोठी म,अब लछमी दाई समावथे।। 02
हरियर-हरियर...


दाई बर लुगरा ददा ह धोती, मोरो बर कुरता बिसावथे,
तिहार-बार म ठेठरी खुरमी, अउ मेला मड़ई घुमावथे।
नवा-नवा धान के चाउर म,चिला दुधफरा खवावथे।। 03
हरियर-हरियर...

हरियर-हरियर डोली म, मेहनत के फर लहराथे।
भाग जगा के खेती म, खेतहारिन ददरिया गावथे।।
 -  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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