हाट बजार भरावथे, मेला मड़ई के दिन आगे।
आनी बानी के जिनीस बेचाथे, लेने देखे तेने मन आगे।।
करार दिन म मेला भराहे, गांव-गांव म मुनादी होगे।
बरार सकेल के नाचा लगाहे, काम बुता के मनाही होगे।।
धन जोरे धनी अगोरथे, ठउका बेरा म नेवताहर आगे।
ओरी-ओरी ओरियागे, पेठा जलेबी के ठेला।
रचरिच-रचरिच बाजथे, रइचुली के मचुलिया।।
फुग्गा घुनघुना के पाछु, नानहे लइका मन भागे।
आनी बानी के जिनीस बेचाथे, लेने देखे तेने मन आगे।।
करार दिन म मेला भराहे, गांव-गांव म मुनादी होगे।
बरार सकेल के नाचा लगाहे, काम बुता के मनाही होगे।।
धन जोरे धनी अगोरथे, ठउका बेरा म नेवताहर आगे।
ओरी-ओरी ओरियागे, पेठा जलेबी के ठेला।
रचरिच-रचरिच बाजथे, रइचुली के मचुलिया।।
फुग्गा घुनघुना के पाछु, नानहे लइका मन भागे।
जिद म अड़े हे बहुरिया, ऐसो लेहू मै तो पैजनीया।
सास मुह टेड़वात काहय, अउ के ठन पहिरबे नचनिया।।
माई पिल्ला बजार करे बर, सियन्हा कर पइसा मांगे।
हिरा हिरैन्दी पेरम धरे, एक दुसर बर चिन्हा लेवे।
कोनो देखे न कोनो पुछे, भिड़ म धक्का के मजा लेवे।।
मया डेलवा के चड़ती म, जम्मो सहेली सकलागे।
- जयंत साहूडूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015
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मया आसिस के अगोरा... । जोहार पहुना।