मोर गांव के महिमा : छत्तीसगढ़ी कविता

महिमा हे बड़ भारी, 
महिमा हे भारी। 
सुन संगवारी मोर गांव के 
महिमा हे भारी।। ...

खपरा उपर खपरा जुड़े हे, सरग निंसैनी कस छवाय पटऊंहा छानी।
खदर छानी म घलो गजब बात हे, पैरा-पैरा के तभो नइ चुहे पानी।।
महिमा हे भारी।। ...



छिटका कुरिया अउ गोबर लिपाये भुइया, जिहा बिराजे कुल देवी।
कोला बारी म घलो गजब बात हे, मांदा म बोवाय चेच अउ अमारी।।
महिमा हे भारी।। ...



गोर्रा कस खोली ल राज महल कहे, सुखिया अउ दुखिया बने राजा-रानी।
गांव गली म घलो गजब बात हे, माड़ी भर चिखला ल कुंजन कहे नरनारी।।
महिमा हे भारी।। ...
- जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

1 टिप्पणी:

मया आसिस के अगोरा... । जोहार पहुना।

सामयिक अतुकांत : ‘वाल्मीकि के बेटी’

हाथरस-बूलगड़ी गांव म घोर कुलयुग एक नारी चार-चार अत्याचारी नियाव के चिहूर नइ सुनिन कोनो मरगे दुखियारी शासन के दबका म कुल-कुटुम अउ प्रशासन तो ...

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