माई कोठी के छबना अब हेर डरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
मेहनत मोल्हा दान अमोल,
दिये हे देवता गठरी खोल।
मगई अउ देवई दूनो धरम,
पुस पुन्नी के गजब मरम।
गरीबहा बड़हर उमियाए पुरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
मेहनत मोल्हा दान अमोल,
दिये हे देवता गठरी खोल।
मगई अउ देवई दूनो धरम,
पुस पुन्नी के गजब मरम।
गरीबहा बड़हर उमियाए पुरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
घर के मुहांटी खड़े गौटनिन,
धर के सुपा-चरिहा भर धान।
ठोमहा-खोचि सबो ह पावय,
काकरो म नइये जिछुट्टई पीरा।
मुठा-मुठा म नइ गवांवय हीरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
धर के सुपा-चरिहा भर धान।
ठोमहा-खोचि सबो ह पावय,
काकरो म नइये जिछुट्टई पीरा।
मुठा-मुठा म नइ गवांवय हीरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
झोके बिगर टरय नही,
दान बर घलो घेखराही।
धरमिन थोरको चिचियाए नही,
परब बर माई कोठी उरकाही।
छेरछेरा के गीत गुंजय आरा पारा।
छेरिक छेरा छेर मड़ई के दिन छेरछेरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
दान बर घलो घेखराही।
धरमिन थोरको चिचियाए नही,
परब बर माई कोठी उरकाही।
छेरछेरा के गीत गुंजय आरा पारा।
छेरिक छेरा छेर मड़ई के दिन छेरछेरा।
आगे अन्नदान के महापरब छेरछेरा।।
- जयंत साहूडूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015
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मया आसिस के अगोरा... । जोहार पहुना।