सावन म रेंगय संगी बियासी के नांगर,
झउंरत हे पानी अउ लउकत के बादर।
घाम ह जनावे नही नइतो जनावे धुका हर।
कुरे-कुर नंगरिहा के पांते पात निदइया बर।
नइतो अतरे बुता कतको बिपत पारे जांगर।
सवनाही म रइही काम बुता के मनाही।
मनौती बर भोले नाथ के मंदिर म जाही।
भक्ति अउ सक्ति के चले बमबम हरहर।।
गांव गली म माते हे नंगत छिपिर छईया।
झड़ी पानी के मजा लेवत अवइया-जवइया।
दिन बुड़ती करमा ददरिया गुंजय घरोघर।।
कोनो चड़े गेड़ी कोनो खेले भवंरा बाटी।
रोटी पीठा के सोर म मुंह लागे पंछासी।
जोहय हरेली राखी पोरा तीजा तिहार।।
झउंरत हे पानी अउ लउकत के बादर।
घाम ह जनावे नही नइतो जनावे धुका हर।
कुरे-कुर नंगरिहा के पांते पात निदइया बर।
नइतो अतरे बुता कतको बिपत पारे जांगर।
सवनाही म रइही काम बुता के मनाही।
मनौती बर भोले नाथ के मंदिर म जाही।
भक्ति अउ सक्ति के चले बमबम हरहर।।
गांव गली म माते हे नंगत छिपिर छईया।
झड़ी पानी के मजा लेवत अवइया-जवइया।
दिन बुड़ती करमा ददरिया गुंजय घरोघर।।
कोनो चड़े गेड़ी कोनो खेले भवंरा बाटी।
रोटी पीठा के सोर म मुंह लागे पंछासी।
जोहय हरेली राखी पोरा तीजा तिहार।।
- जयंत साहूडूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015
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मया आसिस के अगोरा... । जोहार पहुना।