जब तक ले तोर संसा हे, संसो नइ छोड़य साथ।
घर परवार के चिंता ह, चिता म नइ देवय साथ।
चोला भव ले उबारे के हे, त संतो के सुन ले बात।
मुक्ति के रद्दा म रेंगे के हे, त हंसा के धर ले हाथ।।
मुंह म जपे पबरित नाम, नजर म झुले पर के नार।
चरितर अइसन राख, जग म झुके झन तोर माथ।।
कमाना हे जस कमा, धन कमा के कहां ले जाना।
प्रेम करे बर दाई-ददा, तिरिया मोह देह के सवारथ।।
जेन नता म जान बसाये, उही तोर इमान डिगाही।
करनी करम सबो लिखाये, हिसाब लगाही दीनानाथ।।
घर परवार के चिंता ह, चिता म नइ देवय साथ।
चोला भव ले उबारे के हे, त संतो के सुन ले बात।
मुक्ति के रद्दा म रेंगे के हे, त हंसा के धर ले हाथ।।
मुंह म जपे पबरित नाम, नजर म झुले पर के नार।
चरितर अइसन राख, जग म झुके झन तोर माथ।।
कमाना हे जस कमा, धन कमा के कहां ले जाना।
प्रेम करे बर दाई-ददा, तिरिया मोह देह के सवारथ।।
जेन नता म जान बसाये, उही तोर इमान डिगाही।
करनी करम सबो लिखाये, हिसाब लगाही दीनानाथ।।
- जयंत साहूडूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015
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मया आसिस के अगोरा... । जोहार पहुना।