हमर गांव : छत्तीसगढ़ी कविता

का बताववं हमर गांव के बात,
बतावत ले पहा जही दिन रात।
चलना नजर म देख ले आज।।
का हे इहा खुसयाली के राज।

उत्ती मुहाटी म भेंट करे गौटिया,
चोंगी माखुर गठत धरे हे खटिया।
राम राम ले दुसर भाखा नइ बोले,
सबो बर मया कोठी के छबना खोले।
इहा एक दूसर बर मया हे घात,
का बताववं हमर गांव के बात।।

कुकरा जगाथे बडे फजर ले,
अंगना बुहारथे दाई गोबर ले,
बछरु के आरो म धउंरी जागिस,
दुहनी धरके पाहटिया ह आगिस,
गोरस ल ओगारत पैरा के खात,
का बताववं हमर गांव के बात।

-  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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