झन जाबे गोल बजार,
झुमे हाबे लुटइया हजार।
पांच के ल पंदरा लगाथे,
छुये भर ले झोला म धराथे।।
सबो जिनीस के भरमार हे,
जेती जाबे तेती भिड़ भाड़ हे।
देख-देख के आंखी चौधियाथे,
मोल भाव के चक्कर म ठगाथे।।
बजार के खरीदी नोहे सोहलियत काम,
लेवइया का जाने कतका हे सिरतोन दाम।
बोहनी बट्टा के बेरा कइके सुलिहारथे,
मीठ-मीठ बोली म थइली ल अलहोरथे।।
सोना चांदी अउ नव लखिया के हार,
असली नकली म नइये थोरको चिनहार।
देखते-देखत लेवइया के माल पलटाथे,
जाने म बिके माल वापस नी होवे बताथे।
तेल गुर ल तो महगाई खागे,
अब मिठाइ ल आरुग काहा पाबे।
दार चाउर म गोटी माटी मोवाथे,
अउ दम कर के लेबे त कांटा मराथे।
झुमे हाबे लुटइया हजार।
पांच के ल पंदरा लगाथे,
छुये भर ले झोला म धराथे।।
सबो जिनीस के भरमार हे,
जेती जाबे तेती भिड़ भाड़ हे।
देख-देख के आंखी चौधियाथे,
मोल भाव के चक्कर म ठगाथे।।
बजार के खरीदी नोहे सोहलियत काम,
लेवइया का जाने कतका हे सिरतोन दाम।
बोहनी बट्टा के बेरा कइके सुलिहारथे,
मीठ-मीठ बोली म थइली ल अलहोरथे।।
सोना चांदी अउ नव लखिया के हार,
असली नकली म नइये थोरको चिनहार।
देखते-देखत लेवइया के माल पलटाथे,
जाने म बिके माल वापस नी होवे बताथे।
तेल गुर ल तो महगाई खागे,
अब मिठाइ ल आरुग काहा पाबे।
दार चाउर म गोटी माटी मोवाथे,
अउ दम कर के लेबे त कांटा मराथे।
- जयंत साहूडूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015
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मया आसिस के अगोरा... । जोहार पहुना।