जड़काला : छत्तीसगढ़ी कविता

हाय कइसन जड़काला तन मन ल जड़ा डारे,
कमरा हर छुटे ता गोरसी ल पोटारे।
अरे रतिहा ल का कहिबे दिन हा कपा डारे,
सुरुज तिर ठाड़े घाम ल जोहारे।।

ठुनठुनहा लागिस पोहाती वोदिन
कुनकुनहा आगिस घाम थोकिन
बुड़े नइहव तरिया म एकोदिन
अंगोझ डरेव तात पानी म थोकिन
हाय कइसन जड़काला पानी ल कठवा कर डारे। ...


बरी सुक्सी अउ खुला अब चुरय नही
अंगाकर संग बंगाला पुरय नही
साग भाजी ले बारी पलपलाही
तुरते ताजा अब भारी सुहाही
हाय कइजन जड़काला पोचवा ल फुलही कर डारे। ...

कुड़कुड़ाती धुका म भुररी बारे
माइ पिला सबो आंच सेंक डारे
चुलहा म लुकी थोरको नइ ठाहरे
रही रहीके बदरा म लुकी डारे
हाय कइसन जड़काला पछीना ल नोहर कर डारे। ...

-  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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