आवथे नवा बेरा : छत्तीसगढ़ी कविता

जय जोहार लेलो भइया, आवथे नवा बेरा के,
बच्छर पाछु भइगे, आगू बच्छर लेवथे फेरा।
मजा लेहन मजा लेबेा नवा साल के,
आगे दू हजार आठ बारा बजती के बेरा।।

नसा पानी छोड़े के दिन हे
झगरा लड़ई टोरे के दिन हे
सुनता के संकलप धरे हे
सबो संगी मन परन करे हे
अबतो इही ओड़र म खुसी ल अगोरा।

देवारी कस फटाका फुटे
होरी कस रंग गुलाल उड़े
ईद सहिक सेवइया चुरे
बड़े दिन कस केक बटे
अबतो इहां बधइया देबो अउ लेबो रात पुरा।

पिरीत के फुल धरे बगीया तरी
अमरइया म किंजरे जोगनी परी
गर मिलके भुलाव रिस बइरी
गदर मताए के आगे हे पारी
अबो गुंजय गोहार मन भितरी ले मया पारा।।

बच्छर पाछु भइगे, आगू बच्छर लेवथे फेरा। जय जोहार लेले....

-  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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