नेता के जात : छत्तीसगढ़ी कविता

पतियाबे झन भोला नेता के बात,
मुहे भर म मिठ गोठ पेट म हे दात।

ऐति ओती लड़ा के सबला जुझाही,
हमन लड़ मरबो नेता एक हो जाही।
असलियत देखाहि चुनइ के रात,
पतियाबे झन भोला नेता के बात।

मतलब बर ददा भइया कही,
तोर सुख दुख म अही जाही।
छोटे बड़े सबके जोड़ा थाबे हांत,
पतियाबे झन भोला नेता के बात।

गली गली म विकास के किरीया खाही,
दानी धरमी कस दुनो हांथ ले लुटाही।
मोहाथे सबला अपन महिमा देखत,
पतियाबे झन भोला नेता के बात।

जीते के बाद सबला अंगठा देखाही,
खावाहे तेला गिन गिन के उछरही।
मीठ लबरा होथे नेता ये के जात,
पतियाबे झन भोला नेता के बात।।

-  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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