कुवांरा के गोठ : छत्तीसगढ़ी गीत

तोला देख-देख जिये के मन करथे जवांरा,
फेर काबर जब-जब तोला देखथवं
मर जथवं कुवांरा।

हिरदे म तही मोर सांस  बनके धड़कथस,
फेर काबर जब-जब मै सांस लेथवं
थम जथे ये जिवरा।


तोर आय ले संझा अउ जाय ले बिहनीया जानेवं,
फेर काबर जब-जब तै आथस
ठाहरे नही ये बेरा।

सुते म तै जागे म तै समाये हस आखी भितरी,
फेर काबर जब-जब तोला देखथव
लजाथे नयन बिचारा।

-  जयंत साहू
डूण्डा - रायपुर छत्तीसगढ़ 492015

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